चैत्र नवरात्रि

हिंदू धर्म मे चैत्र नवरात्रि का बहुत महत्व है । वर्ष मे कुल चार नवरात्रि आती हैं, इनमे से माघ और आशाढ नवरात्री गुप्त नवरात्रि रहती हैं, और चैत्र तथा आश्विन नवरात्रि यह दोनों नवरात्रि का हिंदू धर्म मे सबसे अधिक महत्व है चैत्र नवरात्रि को वसंत ऋतु में मनाएं जाने के कारण इसे ‘ वासंती नवरात्र ‘ भी कहा जाता है। इस नवरात्रि का ज्यादा महत्व इस लिए भी है की चैत्र नवरात्र के पहले दिन से नव वर्ष की शुरुआत भी होती हैं। और चैत्र माह के पहले दिन को गुड़ीपड़वा का त्योहार भी मनाया जाता है।

चैत्र नवरात्रि कब मनाई जाएगी:-

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023, बुधवार से शुरू होकर 31 मार्च 2023, शुक्रवार को समाप्त होगी।

चैत्र नवरात्रि की मांयताएँ:-

चैत्र नवरात्रि के इस पर्व को पूरे भारत भर में बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन को लेकर बहुत सारी मांयताएँ प्रचलित है। एक प्रमुख मान्यता के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मा दुर्गा का जन्म हुआ था और उनके कहने पर ही भगवान ब्रम्हा जी ने संसार की रचना का कार्य करने प्रारंभ किया था। यही कारण है कि, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी चैत्र नवरात्रि के पहले दिन हिंदू नव वर्ष यानी गुढीपाडवा का त्योहार मनाया जाता है। इसके अलावा पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के सातवे अवतार भगवान श्री राम का जन्म भी चैत्र नवरात्रि में ही हुआ था। और कई साल बाद दृष्ट वानरराज बाली का वध प्रभु श्रीराम ने चैत्र नवरात्रि के पहले दिन किया था, और वहा की प्रजा को बाली के कुशासन से मुक्त कराया था , इस लिए चैत्र प्रतिपदा के दिन गुढी या विजय पताका लहराया जाता है। मा दुर्गा को कई नामो से जाना जाता है। और हिंदू धर्म मे उन्हे सबसे प्राचीन दैवीय शक्ति का दर्जा प्राप्त है, क्योंकि मा दुर्गा का जन्म बुराई का नाश करने के लिए ही हुआ था, इसलिए चैत्र माह मे उनकी पूजा-अर्चना की जाती हैं। और चैत्र नवरात्रि मनाने से हमारे अंदर सकरात्मकता निर्माण होती हैं। पुरे भारत देश में चैत्र नवरात्र बड़े ही धूम-धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। चैत्र प्रतिपदा के दिन से मा दुर्गा के मंदिरों में मेलो तथा विशेष कार्यक्रमो का आयोजन किया जाता है। चैत्र नवरात्रि के शुरुआत से मा दुर्गा के मंदिरों मे भक्तजन दर्शन के लिए अधिक संख्या में आते हैं, और दूसरे प्रसिद्ध शक्तिपीठो मे भी भक्तो की संख्या लाखों तक पहुँच जाती हैं। इस दौरान कई भक्त व्रत रखते हैं, कोई चैत्र नवरात्रि के पहले तथा आखरी दिन व्रत रखता है, तो कोई भक्त नौ दिनों के कठिन व्रत का पालन भी करते हैं। नवरात्रि पूजन हर क्षेत्र में अलग-अलग विधि और तरीको से किया जाता है।

कलश स्थापना एवं जौ की बुआई:-

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घरों में कलश स्थापना की जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता हैं क्योंकि, कलश को सुख-समृद्धि, वैभव, मंगल कार्यो का प्रतिक माना जाता है। कलश स्थापना से पूर्व लोग नहा-धोकर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। तत्पश्चात मा दुर्गा की आराधना करते हुए नवरात्रि कलश की पूजा-अर्चना करते हैं। कई लोग नौ दिन तक देशी घी की अखंड ज्योति भी जलाते है। इसके साथ ही लोगो द्वारा चैत्र नवरात्रि पूजन के दौरान जो दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कार्य है, वह है जौ ( ज्वार ) बोना, इसके लिए कलश स्थापना के साथ ही कलश के चारो ओर थोड़ी मिट्टी भी फैलाई जाती हैं, और इस मिट्टी के अंदर जौ बोया जाता है।

इसी मान्यता है कि, जब सृष्टि की शुरुआत हुई थी , तो जो फसल सबसे पहले उत्पन्न हुई थी, वह जौ ही थी। यही कारण है कि पूजा पाठ के हर महत्वपूर्ण कार्य में जौ का उपयोग अवश्य किया जाता है।

इसके अलावा जौ वसंत ऋतु में ही पैदा होने वाली फसल है और इसी कारण मा दुर्गा को चढ़ावे के रूप में जौ अर्पित की जाती है। ऐसा माना जाता है कि, नवरात्रि के आरंभ में कलश के पास मा दुर्गा को चढ़ावे के रूप में बोये गए यह जौ के बीज आने वाले भविष्य में संकेत देते हैं। यदि यह जौ तेजी से बढ़ते हैं, तो माना जाता है कि घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहेगी। और यदि यह जौ मुरझाए हुए हो, या इनकी वृद्धि बहुत ही धीमी हो तो वह भविष्य में होने वाली किसी अशुभ घटना का संकेत देते हैं।

कन्या पूजन:-

हिंदू धर्म में कन्या को मां दुर्गा का रूप माना जाता है, और इसीलिए नवरात्रि पर्व में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। मा दुर्गा के भक्तो द्वारा अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओ को घर बुलाकर पूरे आदर के साथ उन्हे भोजन कराया जाता हैं, और भोजन के पश्चात उन्हे दक्षिणा और भेंट भी दी जाती हैं।

अपने चैत्र नवरात्रि को तो जान लिया है | इसी के साथ आप हमारी यह पोस्ट मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना को पड़े।

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