होली ( रंगों का पर्व )

होली हमारे पूरे भारत देश में मनाएं जाने वाला त्योहार है। होली को प्यार और रंगों का त्योहार भी बोला जाता हैं। अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नाम से लोग इस त्योहार को जानते हैं, जैसे, पंजाब में होली को “डोला मोहल्ला” कहते हैं। पश्चिम बंगाल और ओडिशा में होली को “बसंत उत्सव” और डोल पूर्णिमा के नाम से जानते है। तमिलनाडू में लोग होली को कामदेव के बलिदान के रूप में याद करते है। इसीलिए यहा पर लोग होली को पंडिगायी , कामाविलास और कामादाहानाम कहते हैं। इस दिन सभी गिले-शिकवे दूर करके होली के अग्नि में जला के, सब लोग साथ आकर, होली मनाते हैं। पुराणो के अनुसार इस दिन असत्य पर सत्य का विजय हुआ था। इस दिन हिरण्यकश्यप राजा ने अपने ही पुत्र, विष्णु भक्त प्रल्हाद को मारना चाहा था। और अपनी बहन होलिका की मदद ली थी। होलिका को भगवान शंकर से वरदान था की, आग उसे जला नही सकती। और दोनों भाई बहन ने प्रल्हाद को जलाना चाहा। और होलिका भक्त प्रल्हाद को गोदी में लेकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका आग के लपेट मे आके जल गई। और प्रल्हाद की जान बच गई। और सत्य का विजय हो गया। इसी कारण हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा को अग्नि जलाकर होलिका दहन का आयोजन किया जाता है। और दूसरे दिन धुलिवंधन मनाते हैं।

होली कब मनाई जाएगी:-

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होली मनाई जाती हैं। इस बार होली 8 मार्च 2023 , बुधवार को मनाई जाएगी। साथ ही होली के 8 दिन पहले होलाष्टक लग जाता हैं। इस बार होलाष्टक 28 फरवरी 2023, मंगलवार से लग रहा है।

होलिका दहन मुहूर्त:-

7 मार्च 2023 मंगलवार को होलिका दहन किया जायेगा। सनातन धर्म मे फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होली बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती हैं। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त -6 मार्च 2023, को शाम 4:17 मिनट से 7 मार्च 2023, को शाम 6:9 मिनट तक रहेगा।

होलिका दहन विधि:-

होलिका दहन में पेड़ की शाखा को पांच या सात बार सुत लपेटकर जमीन मे गाड़ देते हैं। और चारो तरफ से लकड़ी, कंडे या उपले से ढक दिया जाता हैं। इन सारी चीजो को शुभ मुहूर्त में जलाया जाता है। इसमें छेद वाले गोबर के उपले, गेहू की नई बलिया और उबटन डाले जाते है। यह सब इकट्ठा करने के बाद हल्दी, कुंकुम और अक्षत डालकर पूजा की जाती हैं। और फिर अग्नि लगाई जाती हैं। होलिका दहन के बाद पुरण पोली और खीर का भोग लगाया जाता हैं। और कलश से होली के चारो ओर से जल चढ़ाया जाता हैं। इसी मान्यता है कि, इससे साल भर व्यक्ति को आरोग्य की प्राप्ति होती हैं, और बुरी बलाएँ उस अग्नि में भस्म हो जाती हैं। होलिका दहन करने के बाद जो राख रहती हैं, उसे घर लाकर उससे तिलक करने की भी परंपरा है। होलिका दहन को कई जगह छोटी होली भी बोला जाता है।

कब खेला जायेगा रंग:-

होली के पावन पर्व का संबंध रंग-उमंग और खुशियों से है। जिन रंगो के बगैर होली अधूरी है, वह इस साल 8 मार्च 2023 को खेला जायेगा। देश के तमाम हिस्सों में इस दिन कई फूलों से, तो कई अबीर-गुलाल और रंगो से लोग होली खेलते हैं।

इस दिन को लोग बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं। होली के एक दिन पहले होलिका दहन में सब गिले-शिकवे जलाकर दूसरे दिन सबके साथ होली मनाते हैं। कहते है इस दिन दुश्मन को भी रंग लगाना चाहिए, जिससे आपकी दुश्मनी मित्रत मे बदल जाती हैं।

अपने होली को तो जान लिया है | इसी के साथ आप हमारी यह पोस्ट मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना को पड़े।

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