Software engineer kaise bane? | सॉफ्टवेयर इंजीनियर कैसे बनें? | How to become a Software Engineer

नमस्कार दोस्तो! आज का हमारा टॉपिक है, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग मे क्या होता है? भारत में लगभग 6 मिलियन (60 लाख) सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। तकनीकी के विकसित होने से मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर आदि भी अधिक एडवांस हो गए हैं। यह सभी डिवाइस सॉफ्टवेयर से चलती हैं जिन्हें एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर डेवलप करता है।

अगर आप भी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग करना चाहते हैं, तो हमारे इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े। अंत में आपको आपके सभी सवालों के जवाब भी मिलेंगे।

इस पोस्ट मे ( Software engineer kaise bane?) निम्नलिखित विषयों पर बात करेंगे।

1) सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग क्या हैं?
2) सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग को क्यों चुनें?
3) सॉफ्टवेयर इंजीनियर का महत्व
4) सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग बनने के फायदे
5) आवश्यक स्किल्स
6) सॉफ्टवेयर इंजीनियर कैसे बने? (Software engineer kaise bane?)
7) 12वीं के बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स
8) सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में विषय (software engineer subjects)
9) सॉफ्टवेयर इंजीनियर के कार्य (work of software engineer)
10) सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स
11) सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के लिए टॉप कॉलेज
12) योग्यता (software engineer qualification)
13) आवेदन प्रक्रिया
14) प्रवेश परीक्षाएं
15) करियर विकल्प
16) सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सैलरी (salary of software engineer in india)
17) निष्कर्ष
18) FAQs

आईये इन सब विषयों पर विस्तार से बात करते हैं।

1) सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग क्या हैं?

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग एक प्रकार का कंप्यूटर इंजीनियरिंग कोर्स होता है जो दो शब्दों सॉफ्टवेयर और इंजीनियरिंग से मिलकर बना है। दूसरे शब्दों में कहें तो सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग IT की एक ब्रांच है जिसमें विभिन्न प्रकार की सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग, डेवलपमेंट, मैनटैनिंग, टेस्टिंग, पप्रोग्रामिंग आदि के बारे में सिखाया जाता है। इसमें कई प्रकार की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का उपयोग होता है जिसमें HTML, JAVA, PHP, C/C++, Python शामिल हैं। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए आपको इन सभी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की नॉलेज होना बहुत आवश्यक है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियर वह होता है जो यूजर की आवश्यकता के अनुसार विभिन्न प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में कोडिंग एक सॉफ्टवेयर डेवलपर करता है। उसकी टेस्टिंग करके उसे मैंटेन करता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए इन सब प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी होना बहुत जरूरी है। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीखना बहुत मुश्किल नहीं होता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए लैंग्वेज सीखना बेहद जरुरी है क्योंकि इसके बिना सॉफ्टवेयर इंजीनियर नहीं बना जा सकता है।

2) सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग को क्यों चुनें?

  • भारत में इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी क्षेत्र के तेजी से विकास के कारण सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स मांग में हैं। कोर्स प्रोग्रामिंग भाषाओं और कई सॉफ्टवेयर के डिजाइन और विकास पर केंद्रित है।
  • यह कोर्स उस अध्ययन पर केंद्रित है जो छात्रों को सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के मूल सिद्धांतों के बारे में जानने में मदद करता है।
  • सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में BSc पूरा करने के बाद, ग्रेजुएट्स मास्टर डिग्री का विकल्प चुन सकते हैं या रिसर्च और विकास क्षेत्रों में अपना करियर बना सकते हैं और अध्ययन के क्षेत्र में अच्छे बदलाव कर सकते हैं।
  • कोर्स छात्रों और पेशेवरों दोनों के लिए नौकरी के कई अवसर प्रदान करते हैं। ऐसे कोर्सेज के बाद सालाना औसत वेतन लगभग INR 4-7 लाख है।
  • कोर्स पूरा होने के बाद उम्मीदवार सॉफ्टवेयर इंजीनियर, एप्लीकेशन डेवलपर, डेटाबेस प्रशासक, मल्टीमीडिया प्रोग्रामर, वेब डिज़ाइनर और सॉफ़्टवेयर परीक्षक के रूप में निजी और साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में काम कर सकते हैं।

3) सॉफ्टवेयर इंजीनियर का महत्व

  • बड़े सॉफ्टवेयर को मैनेज और उसके रख-रखाव करने के लिए।
  • बेहतर और ज्यादा स्कलबिलिटी के लिए।
  • कॉस्ट मैनेजमेंट करने के लिए, इसके लिए सही प्रोसेस को फॉलो करना बहुत ज़रूरी होता है।
  • सॉफ्टवेयर का डायनामिक नेचर हमेशा बदलता रहता है और उसमें समय के अनुसार अपडेट करने की आवश्यकता होती है। 
  • बेहतर और एडवांस क्वालिटी मैनेजमेंट के लिए।

4) सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग बनने के फायदे

यह बड़े सॉफ्टवेयर की कठनाइयों को कम करता है। बड़ा सॉफ्टवेयर हमेशा थोड़ा जटिल और चुनौती भरा होता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर के द्वारा बड़े प्रोजेक्ट की कठिनताओं को कम किया जा सकता है। जिससे छोटी प्रॉब्लम को आसानी से सॉल्व किया जा सकता है।

सॉफ्टवेयर की मदद से प्रोजेक्ट को हैंडल करना आसान होता है। बड़े प्रोजेक्ट्स को पूरा करने में बहुत समय लगता है और इसके लिए बहुत प्लानिंग करनी पड़ती है। अगर हम सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के मेथड्स को फॉलो करते हैं तो बड़े प्रोजेक्ट्स को आसानी से संभाला जा सकता है।

5) आवश्यक स्किल्स

  • समस्या समाधान
  • मल्टीटास्किंग
  • अच्छी कम्युनिकेशन स्किल
  • एक्टिव लिसनर
  • मैनेजमेंट अटेंशन टू डिटेल

6) सॉफ्टवेयर इंजीनियर कैसे बने? (Software engineer kaise bane?)

  • सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने की शुरुआत स्कूली स्तर से ही की जाती है। 10वीं बोर्ड के बाद साइंस स्ट्रीम को चुनना होता है। आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विज्ञान विषयों में पढ़ाए जाने वाले सभी बुनियादी विषयों पर आपकी अच्छी पकड़ हो, क्योंकि स्कूल के बाद इस क्षेत्र में हायर एजुकेशन की डिग्री हासिल करने के योग्य होने के लिए यह आवश्यक है।
  • सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम इस क्षेत्र या संबंधित क्षेत्र में बैचलर्स की डिग्री प्राप्त करना है। चूंकि सभी विश्वविद्यालय सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में बैचलर्स डिग्री प्रदान नहीं करते हैं, इसलिए कंप्यूटर साइंस में बैचलर्स डिग्री के लिए जाना एक अच्छा विचार है, क्योंकि यह कंप्यूटर साइंस के तहत एक विशेष क्षेत्र है।कंप्यूटर साइंस में बैचलर्स डिग्री 4 साल की अवधि का होता है और इसमें उन सभी आवश्यक विषयों को शामिल किया जाएगा जो आपको एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए मास्टर करने की आवश्यकता है।
  • इंटर्नशिप में अपनी स्किल्स को प्रैक्टिस में लाने में मदद कर सकती है। जब आप अपनी अंडर ग्रेजुएट डिग्री प्राप्त कर रहे हों या इसे पूरा करने के बाद भी इंटर्नशिप के अधिक से अधिक अवसरों का लाभ उठाना सुनिश्चित करें।
  • कंप्यूटर विज्ञान में बैचलर्स डिग्री आपको एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के योग्य बनाती है, आपको न केवल अन्य उम्मीदवारों पर लाभ प्राप्त करने के लिए, बल्कि विभिन्न नौकरी पदों के लिए खुद को तैयार करने के लिए अपने कौशल को उन्नत करने की आवश्यकता है। विभिन्न प्रोग्रामिंग भाषाओं जैसे कि Python, C++, Java आदि को सीखना आपको दूसरों पर प्रतिस्पर्धा में बढ़त दिला सकता है। अपनी स्किल्स को विकसित करने का एक और तरीका है कि आप नए सॉफ्टवेयर बनाने में अपना हाथ आजमाएं – इससे आप अपने ज्ञान को व्यावहारिक उपयोग में ला सकेंगे।
  • सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने की दिशा में अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण कदम नौकरियों के लिए आवेदन शुरू करना है। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग नौकरी के लिए आदर्श उम्मीदवार के रूप में माने जाने के लिए आपको अपने सभी skills और अनुभव को उजागर करते हुए एक आदर्श फिर से शुरू करना होगा। शुरू में आपको एक छोटी कंपनी में नौकरी करनी पड़ सकती है, लेकिन जैसे-जैसे आप अनुभव और अपने कौशल का निर्माण करते रहेंगे, आप जल्द ही अपनी सपनों की कंपनी में एक पद पाने के लिए उठ सकते हैं।

7) 12वीं के बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स

  • CS Diploma
  • IT 
  • BCA
  • B.Tech 
  • M.Tech 
  • ME
  • B.Sc
  • MSc
  • PhD

8) सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में विषय (software engineer subjects)

आइए जानते हैं कि सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग मे किस किस विषय को पढ़ाया जाता है और इसमे  कितने सब्जेक्ट होते हैं-

सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट

  • परिचय
  • सॉफ्टवेयर का विकसित रोल
  • सॉफ्टवेयर के लक्षण
  • सॉफ़्टवेयर एप्लिकेशन

  सॉफ्टवेयर डिजाइन प्रक्रिया

  • सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग से क्या तात्पर्य है?
  • सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की परिभाषा
  • धारावाहिक और रैखिक विकास मॉडल
  • पुनरावृत्त विकास मॉडल
  • वृद्धिशील विकास मॉडल
  • समानांतर या समवर्ती विकास मॉडल
  • हैकिंग

सॉफ्टवेयर विश्वसनीयता

  • परिचय
  • सॉफ्टवेयर विश्वसनीयता मेट्रिक्स
  • विश्वसनीयता के लिए प्रोग्रामिंग
  • गलती से बचाव
  • दोष सहिष्णुता
  • सॉफ्टवेयर पुन: उपयोग

सॉफ्टवेयर डिजाइन सिद्धांत

  • सिस्टम मॉडल – डेटा फ्लो मॉडल, सिमेंटिक डेटा मॉडल, ऑब्जेक्ट मॉडल, इनहेरिटेंस मॉडल, ऑब्जेक्ट एग्रीगेशन, डेटा डिक्शनरी
  • सॉफ्टवेयर डिजाइन – डिजाइन प्रक्रिया, डिजाइन के तरीके, डिजाइन विवरण, डिजाइन रणनीति, डिजाइन की गुणवत्ता
  • वास्तुकला डिजाइन – सिस्टम संरचना, भंडार मॉडल, नियंत्रण मॉडल, मॉड्यूलर अपघटन, डोमेन विशिष्ट वास्तुकला

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड डिजाइन

  • ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड डिज़ाइन-ऑब्जेक्ट, ऑब्जेक्ट क्लासेस और इनहेरिटेंस, ऑब्जेक्ट आइडेंटिफिकेशन, ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड डिज़ाइन उदाहरण, ऑब्जेक्ट एग्रीगेशन
  • सेवा उपयोग
  • ऑब्जेक्ट इंटरफ़ेस डिज़ाइन – डिज़ाइन विकास
  • डेटाफ्लो डिज़ाइन
  • संरचना संरचना

एन असेसमेंट ऑफ़ प्रोसेस लाइफ साइकिल मॉडल

  • प्रक्रिया के मूल्यांकन का अवलोकन
  • समय का आयाम
  • सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में बिजनेस मॉडल की आवश्यकता
  • क्लासिक अमान्य मान्यताएं: पहली धारणा- आंतरिक या बाहरी ड्राइवर
  • दूसरी धारणा- सॉफ्टवेयर या बिजनेस प्रोसेस
  • तीसरी धारणा- प्रक्रिया या परियोजना
  • चौथी धारणा-प्रक्रिया केन्द्रित या स्थापत्य केन्द्रित

कॉन्फ़िगरेशन मैनेजमेंट

  • परिचय
  • परिवर्तन प्रबंधन
  • संस्करण और रिलीज प्रबंधन
  • संस्करण पहचान
  • सॉफ्टवेयर की रखरखाव
  • रखरखाव प्रक्रिया
  • मेंटेनेन्स कोस्ट

सॉफ्टवेयर परीक्षण तकनीक

  • सॉफ्टवेयर परीक्षण मूल बातें
  • परीक्षण सिद्धांत
  • व्हाइट बॉक्स परीक्षण
  • नियंत्रण संरचना परीक्षण
  • ब्लैक बॉक्स परीक्षण

सॉफ्टवेयर परीक्षण आश्वासन

  • परिचय
  • ब्लैक बॉक्स परीक्षण
  • सत्यापन परीक्षण
  • सत्यापन परीक्षण मानदंड
  • जाँच की योजना
  • परीक्षण रणनीतियाँ
  • परीक्षण के सिद्धांत

सॉफ्टवेयर परीक्षण रणनीतियाँ

  • सॉफ्टवेयर परीक्षण के लिए परिचय आयोजक
  • सॉफ्टवेयर परीक्षण रणनीति
  • इकाई का परीक्षण
  • टॉप डाउन इंटीग्रेशन
  • बॉटम अप इंटीग्रेशन

लोग और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग

  • पारंपरिक सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
  • समस्या समाधान प्रक्रिया में लोगों का महत्व
  • लोग कारक
  • ग्राहक कारक

सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी और समस्या समाधान

  • व्यापार उपकरण को सक्षम करने के रूप में सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी 
  • ई-बिज़नेस रेवोल्यूशन

केस स्टडी

  • परिचय
  • तंत्र की ज़रूरतें
  • वास्तुकला वैकल्पिक

9) सॉफ्टवेयर इंजीनियर के कार्य (work of software engineer)

  • एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर का मुख्य कार्य प्रोग्रामिंग करना।
  • सॉफ्टवेयर डेवलप करना।
  • मोबाइल ऐप्स बनाना।
  • लैपटॉप और कंप्यूटर के लिए सॉफ्टवेयर बनाना।
  • ऐप्प्स व प्रोग्राम को डेवलप करने मे आने वाली परेशानियों को सॉल्व करना।
  • सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग करना।
  • सॉफ्टवेयर को मैंटेन रखना।
  • यूजर की आवश्यकता के अनुसार सॉफ्टवेयर बनना।

10) सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स (Software engineer course)

  • डिप्लोमा – नेटवर्क और सॉफ्टवेयर का डिप्लोमा
  • स्नातक – बिजनेस के लिए बीएससी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
    बीईएनजी नेटवर्क और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
    बीई/बीटेक/बैचलर ऑफ
    सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
    बीएससी कंप्यूटर साइंस
    (सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग)
  • मास्टर्स – एमएससी एडवांस्ड सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी
    एमएससी/एमईएनजी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
    पीजीसीर्ट/पीजीडीआईपी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग

11) सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के लिए टॉप कॉलेज

भारत में 200 से ज्यादा सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जिससे हर साल हजारों से ज्यादा सॉफ्टवेयर इंजीनियर पास आउट होकर सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में कदम रखते हैं। इन इंजीनियरिंग कॉलेज में बैचलर्स, मास्टर्स और डिप्लोमा की डिग्री उपलब्ध हैं। नीचे देश के टॉप कॉलेज के नाम इस प्रकार हैं।

  • सभी IIT
  • आंध्र यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, विशाखापत्तनम
  • एनआईटी सुरथकल – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कर्नाटक
  • इंस्टीट्यूशंस ऑफ इंजीनियर्स इंडिया, कोलकाता
  • सीवी रमन ग्लोबल यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर
  • वेल्स विश्वविद्यालय – वेल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड एडवांस्ड स्टडीज
  • श्रीनिवास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मैंगलोर
  • शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुरी
  • इंडियन मैरीटाइम यूनिवर्सिटी, चेन्नई
  • पार्क कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कोयंबटूर
  • समुंद्रा इंस्टिट्यूट ऑफ मैरीटाइम स्टडीज, पुणे
  • जीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, चेन्नई

12) योग्यता (software engineer qualification)

  • इंजीनियरिंग में बैचलर्स डिग्री प्रोग्राम के लिए ज़रुरी है कि उम्मीदवारों ने किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से PCM (फिजिक्स, केमिस्ट्री, गणित) से 10+2 प्रथम श्रेणी से पास किया हो।
  • भारत में इंजीनियरिंग में बैचलर्स के लिए कुछ कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में JEE mains, JEE Advanced जैसे प्रवेश परीक्षा के स्कोर अनिवार्य हैं। साथ ही कुछ कॉलेज और यूनिवर्सिटीज अपनी स्वयं की प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करतीं हैं।
  • इंजीनियरिंग में PG प्रोग्राम के लिए संबंधित क्षेत्र में प्रथम श्रेणी के साथ बैचलर्स डिग्री होना आवाश्यक है। साथ ही कुछ यूनिवर्सिटीज प्रवेश परीक्षा के आधार पर भी एडमिशन स्वीकार करतीं हैं।

13) आवेदन प्रक्रिया

  • सबसे पहले अपनी चुनी हुई यूनिवर्सिटी की ऑफिशियल वेबसाइट में जाकर रजिस्ट्रेशन करें।
  • यूनिवर्सिटी की वेबसाइट में रजिस्ट्रेशन के बाद आपको एक यूजर नेम और पासवर्ड प्राप्त होगा।
  • फिर वेबसाइट में साइन इन के बाद अपने चुने हुए कोर्स का चयन करें जिसे आप करना चाहते हैं।
  • अब शैक्षिक योग्यता, वर्ग आदि के साथ आवेदन फॉर्म भरें।
  • इसके बाद आवेदन फॉर्म जमा करें और आवश्यक आवेदन शुल्क का भुगतान करें।
  • यदि एडमिशन, प्रवेश परीक्षा पर आधारित है तो पहले प्रवेश परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन करें और फिर रिजल्ट के बाद काउंसलिंग की प्रतीक्षा करें। प्रवेश परीक्षा के अंको के आधार पर आपका चयन किया जाएगा और लिस्ट जारी की जाएगी।

14) प्रवेश परीक्षाएं

  • JEE Main
  • AICET
  • MERI Entrance Exam

15) करियर विकल्प

ग्रेजुएट्स के पास नौकरी के ढेर सारे अवसर हैं, खासकर क्योंकि यह हर दिन नए और बेहतर सॉफ्टवेयर और ऐप्स की आवश्यकता के कारण तेजी से बढ़ता हुआ उद्योग है। यहां कुछ नौकरी के पद दिए गए हैं जिन्हें आप चुन सकते हैं:

  • सॉफ्टवेयर इंजीनियर
  • सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट
  • सॉफ्टवेयर स्पेशलिस्ट
  • चीफ टेक्निकल ऑफिसर
  • सॉफ्टवेयर ट्रेनी डेवलपर
  • साइबर सिक्योरिटी मैनेजर
  • सॉफ्टवेयर डेवलपर
  • सेल्स मैनेजर
  • वीडियो गेम डिज़ाइनर
  • प्रोग्रामर

16) सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सैलरी (salary of software engineer in india)

एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सैलरी कंपनियों पर निर्भर करती है कि आपको किन-किन तकनीक और कंप्यूटर लैंग्वेज की नॉलेज है।
एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की शुरुआती सैलरी कम से कम INR 20-40 हजार प्रति महीना होती है।
उसके बाद एक एक्सपर्ट सॉफ्टवेयर इंजीनियर को INR 70-80 लाख प्रतिवर्ष सैलरी मिलती है।
अगर आप किसी मल्टी नेशनल कंपनी जैसे गूगल में कम कर रहे हैं तो आप की सैलरी INR 1 करोड़ प्रतिवर्ष तक भी हो सकती है।

17) निष्कर्ष (Software engineer kaise bane?)

इस पोस्ट मे हमने Software engineer kaise bane? इस टॉपिक पर पूरी जानकारी प्रदान की है। इसमें हमने आपको सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग क्या होता है, यह कोर्स क्यों करना चाहिए, सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सैलरी ऐसे अन्य कई विषयों पर विस्तार से बताया है।
उम्मीद है कि आपको यह पोस्ट (Software engineer kaise bane?) पसंद आई होंगी। इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे, ताकि जो अभ्यर्थी सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहते हैं, उन लोगों तक यह पोस्ट पहुँच सके, और उनको मदद हो सके।

अपने Software engineer kaise bane? तो जान लिया है | इसी के साथ आप हमारी यह पोस्ट Bsc Maths ke Baad Kya Kare? पड़े।

18) FAQs (Software engineer kaise bane?)

1) सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने में कितना खर्चा होता है?
सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए खर्च यूनिवर्सिटी पर निर्भर करता है, वैसे यह प्रति वर्ष INR 50,000-3 लाख तक होता है।

2) इंजीनियर बनने के लिए कौन सी पढ़ाई करनी पड़ती है?
इंजीनियर बनने के लिए सबसे ज्यादा जरुरी है की आपने कक्षा 12वीं की पढ़ाई साइंस स्ट्रीम में की हो, क्योंकि साइंस स्ट्रीम के छात्र ही इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ले सकते हैं। भारत में इंजीनियरिंग के लिए IIT, BIT, NIT जैसे कई बड़े मान्यता प्राप्त कॉलेज हैं जो इंजीनियरिंग के लिए दाखिला प्रदान करते हैं।

3) सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स कितने साल का होता है?
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स के लिए आपको कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन करनी होती है जो 4 वर्ष की होती है।

4) सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग क्या है? (Software engineer kaise bane?)
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का अर्थ एक ऐसी इंजीनियरिंग से है जिसमें कंप्यूटर सिस्टम तथा किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो “सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग एक प्रक्रिया है जिसमें यूजर की जरूरतों का मुल्यांकन किया जाता है और इन जरूरतों के आधार पर सॉफ्टवेयर को बनाया जाता है।

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