हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का बेहद महत्व है। महाशिवरात्रि इस वर्ष 18 फरवरी को मनाई जायेगी। पौराणिक ग्रंथो के अनुसार देवी सती का पार्वती के रूप में पुनर्जन्म हुआ था। मां पार्वती ने आरंभ में अपने सौंदर्य से भगवान शिव को रिझाना चाहा लेकिन, वे सफल नहीं हो सकी। इसके बाद त्रियुगी नारायण से पांच किलोमीटर दूर गौरीकुंड मे कठिन ध्यान और साधना से उन्होंने शिवजी का मन जीत लिया। इसी दिन भगवान शिव और आदिशक्ति माँ पार्वती का विवाह संपन्न हुआ। भगवान शिव तांडव और माता पार्वती के लास्यनृत्य के समन्वय से ही सृष्टि मे संतुलन बना हुआ है। शिवजी को प्रसन्न करने और व्रत रखने कई महत्वपूर्ण नियम है। इन नियमो का पालन करने से महाशिवरात्रि व्रत का पुरा फल मिलता है। और भगवान शिव की कृपा भी बनी रहती हैं।
महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान शिव की पूजा करने से वैवहिक जीवन मे समृद्धि आती हैं एवं दाम्पत्य जीवन में भी आने वाले सभी प्रकार के कष्टो से मुक्ति मिलती हैं।
कब मनाई जाएगी महाशिवरात्रि:-
हिंदू पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि का त्योहार हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथी को मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि, इस दिन शिव के 12 ज्योतिर्लिंग का धरती पर प्रकत्य हुआ था।
महाशिवरात्रि का त्योहार शनिवार 18 फरवरी को रात 8 बजकर 03 मिनट पर प्रारंभ होगा और इसका समापन रविवार, 19 फरवरी को शाम 04 बजाकर 19 मिनट पर होगा। चुकी महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल में की जाती हैं। इसलिए यह त्योहार 18 फरवरी को ही मानना उचित होगा।
महाशिवरात्रि पर त्रिग्रही योग:-
इस साल महाशिवरात्रि का पर्व बेहत खास रहने वाला है। इस बार महाशिवरात्रि पर त्रिग्रही योग का निर्माण होने जा रहा है। 17 जनवरी 2023 को न्याय देव शनि कुंभ राशि में विराजमान हुए थे। अब 13 फरवरी को ग्रहो के राजा सूर्य भी इस राशि में प्रवेश करने वाले है। 18 फरवरी को शनि और सूर्य के अलावा चंद्रमा भी कुंभ राशि मे होगा, इसलिए कुंभ राशि में शनि, सूर्य और चंद्रमा मिलकर त्रिग्रही योग का निर्माण करेंगे। ज्योतिषविद ने इसे बड़ा ही दुर्लभ संयोग माना है।
महाशिवरात्रि व्रत की महिमा:-
महाशिवरात्रि व्रत परम और दिव्यतापूर्न है, यह व्रत चारो पुरुषार्थो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है। इस दिन जो प्राणी परंसिद्धिदायक भगवान शिव का व्रत, अभिषेक और पूजन करते हैं। वह परम भाग्यशाली होते हैं। भगवान श्री राम ने स्वयम् कहा है कि,-‘ शिव द्रोही मम दास कहावा! सो नर मोहि सपनेहु नहि भावा!!’ अर्थात जो शिव का द्रोह करके मुझे प्राप्त करना चाहते है वह सपने में भी मुझे प्राप्त नही कर सकता। यही वजह है कि, इस दिन शिव आराधना के साथ ही श्री रामचरितमानस के पाठ का भी बहुत महत्व होता हैं। एक अन्य कथा के अनुसार माता पार्वती ने एक बार भगवान शिव से पूछा कि कोनसा व्रत उनको सर्वोत्तम भक्ति व पुण्य प्रदान कर सकता है।, तब भोलेशंकर ने स्वय इस दिन का महत्व बताया था, की फल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्री को जो उपवास करता है, वह मुझे प्रसन्न कर लेता है।मे अभिषेक, वस्त्र, धूप, अर्घ्य तथा पुष्प आदि से उतना प्रसन्न नही होता जितना की, व्रत-उपवास से।
महाशिवरात्रि व्रत और पूजन विधि:-
भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए श्रद्धालु प्रातः स्नानादि करके शिवमंदिर जाए। पूजा मे चंदन, मोली, पान, सुपारी, अक्षत, पंचामृत, बिल्वपत्र, धतूरा, फल- फुल, नारियल, इत्यादि शिवजी को अर्पित करे। भगवान को अत्यंत प्रिय बेल को धोकर चिकने भाग की और से चंदन चढ़ाकर चढ़ाये।, ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का उच्चारन जितनी बार हो सके करे एवं शिवमूर्ति और भगवान शिव की लिलाओ का चिंतन करे। रात्री के चारो प्रहारों मे भगवान शंकर की अर्चना करे। अभिषेक के जल में पहले प्रहर मे दूध, दूसरे मे दही, तीसरे मे घी और चौथे मे शहद को शामिल करना चाहिए। दिन में केवल फलाहार करे, रात्री में उपवास करे। हालाँकि रोगी, अशक्त और वृद्धजन रात्री में भी फलाहार कर सकते हैं। इस दिन शिव की पूजा करने से जीव को अभीष्ट फल की प्राप्ति अवश्य होती हैं।
अपने महाशिवरात्रि के बारे में तो जान लिया है | इसी के साथ आप हमारी यह पोस्ट Ram Navami 2023 को पड़े।
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