Hartalika Teej 2023 : हरतालिका तीज कब है? जानें सही तिथि, पूजा विधि ,पूजा मुहूर्त और तीज व्रत कथा

नमस्कार दोस्तो! आज का हमारा टॉपिक है, हरतालिका तीज 2023 (Hartalika Teej 2023)। पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मा गौरा पार्वती और शिवजी की विधिपूर्वक पूजा की जाती हैं। करवा चौथ की तरह ही यह व्रत भी बहुत कठिन माना जाता है। इस दिन महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रखती है। हरतालिका तीज का व्रत सुहागन महिलाओ के द्वारा अखंड सौभाग्य के प्राप्ति के लिए यह व्रत रखा जाता है। वही कुवारी लड़कियां भी अच्छे वर की कामना के साथ इस व्रत को रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है, और पति पत्नी के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है।

ऐसे में जानते हैं की इस साल हरतालिका तीज कब है, हरतालिका तीज का मुहूर्त क्या है, पूजा विधि , कथा और अन्य कई विषयों पर विस्तार से जानेंगे। इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े, ताकि आपको इस व्रत के बारे में अच्छे से समझ आ जाए।

इस पोस्ट मे (hartalika teej 2023 date in hindi) निम्नलिखित विषयों पर बात करेंगे।

1) हरतालिका तीज 2023 तिथि (hartalika teej 2023 date in hindi)
2) हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त
3) पूजन सामग्री
4) पूजा विधि
5) हरतालिका तीज व्रत कथा
6) निष्कर्ष
7) FAQs

आईये इन सब विषयों पर विस्तार से बात करते हैं।

1) हरतालिका तीज 2023 तिथि ( hartalika teej 2023 date in hindi )

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया की शुरुआत 17 सितंबर 2023 रविवार को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर हो रही हैं। और इस तिथि का समापन अगले दिन 18 सितंबर 2023 सोमवार, दुपहर 12  बजकर 39 मिनट पर होगा। ऐसे में हरतालिका तीज 18 सितंबर को मनाई जायेगी।

2) हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त (hartalika teej 2023 puja muhurat)

हरतालिका तीज की पूजा के लिए इस दिन 3 शुभ मुहूर्त है।पहला मुहूर्त  06 बजकर 07 मिनट से 08 बजकर 34 मिनट तक है। उसके बाद दूसरा मुहूर्त सुबह 09 बजकर 11 मिनट से 10 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। इसके बाद तीसरा मुहूर्त दुपहर 03 बजकर 19 मिनट से शाम 07 बजकर 51 मिनट तक है। इन तीनो मुहूर्त में आप कभी भी पूजा कर सकते हैं।

3) पूजन सामग्री (hartalika teej puja samgri)

हरतालिका तीज पूजा के लिए सबसे पहले भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति बनाई जाती है। इसके अलावा पिला वस्त्र, केले का पत्ता, जनेऊ, सुपारी, रोली, बेलपत्र, धतूरा, शमी के पत्ते, दुर्वा, कलश, अक्षत, घी, कपूर, गंगाजल, दही, शहद और 16 शृंगार का समान सिंदूर, बिंदिया, मेहंदी, कुमकुम आदि।

4) पूजा विधि (hartalika teej puja vidhi)

हरतालिका तीज व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद स्वच्छ कपड़े पहने। उसके बाद शुभ मुहूर्त के समय हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करने के बाद पूजा आरंभ करे। इस दिन माता पार्वती और शिव जी के साथ उनके गणेश की भी पूजा की जाती हैं।

माता पार्वती , भगवान शिव शंकर और गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति बनाए। इसके बाद एक चौकी पर स्थापित करे। माता पार्वती को अक्षत, चुनरी, फूल, फल, धूप, दीप आदि अर्पित करे। वही शिव जी को सफेद चंदन, बिल्वपत्र , भांग, धतूरा, आदि अर्पित करे। भगवान शिव को सफेद फूल अर्पित करने चाहिए।

भगवान शिव की पूजा करते समय ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करे। उसके बाद शिव,  पार्वती , गणेश जी को भोग लगाए। मा पार्वती का पूजन करते समय ॐ उमायै नम: मंत्र का जाप करे। उसके बाद कुवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना करे। 

5) हरतालिका तीज व्रत कथा (hartalika teej vrat katha)

एक बार भगवान शिव ने पार्वती जी को उनके पूर्व जन्म का स्मरण कराने के उद्देश्य से इस व्रत के माहात्म्य की कथा सुनाई थी।

श्री भोलेशंकर बोले- हे गौरी! पर्वतराज हिमालय पर स्थित गंगा के तट पर तुमने अपनी बाल अवस्था में बारह वर्षो तक अधोमुखी होकर घोर तप किया था। इतनी अवधी तुमने अन्न न खाकर पेड़ों के सूखे पत्ते चबाकर व्यतीत किए। माघ की विक्राल शीतलता मे तुमने निरंतर जल में प्रवेश करके तक किया। वैशाख की जला देने वाली गर्मी में तुमने पंचाग्नि से शरीर को तपाया। श्रावण की मुसलधार वर्षा मे खुले आसमान के नीचे बिना अन्न जल ग्रहण किए समय व्यतीत किया।

तुम्हारे पिता तुम्हारे कष्ट साध्य तपस्या को देखकर बड़े दुखी होते थे । उन्हे बड़ा क्लेश होता था। तब एक दिन तुम्हारी तपस्या और पिता का क्लेश देखकर नारद जी तुम्हारे घर पधारे। तुम्हारे पिता ने हृदय से अतिथि सत्कार करके उनके आने का कारण पूछा।

नारद जी ने कहा- गिरिराज! मे भगवान विष्णु के कहने पर यह उपस्थित हुआ हु। आपकी कन्या ने बड़ा कठोर तक किया है। इससे प्रसन्न होकर वे आपकी सुपुत्री से विवाह करना चाहते हैं। इस संदर्भ में आपकी राय जानना चाहता हूँ।

नारद जी की बात सुनकर गिरिराज गद्गद् हो उठे। उनके तो जैसे सारे क्लेश ही दूर हो गए हो। प्रसन्नचित्त होकर वे बोले- श्रीमान! यदि स्वय विष्णु मेरी कन्या का वरण करना चाहते है , तो भला मुझे क्या आपत्ति हो सकती हैं। वे तो साक्षात ब्रह्म है। हे महर्षि !  यह तो हर पिता की इच्छा होती हैं की, उसकी पुत्री सुख, संपदा से युक्त पति के घर की लक्ष्मी बने । पिता की सार्थकता इसी मे है, की पति के घर जाकर उसकी पुत्री पिता के घर से अधिक सुखी रहे।

तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर नारद जी विष्णु के पास गए और उनसे तुम्हारे ब्याह के निश्चित होने का समाचार दिया । मगर इस विवाह संबंध बात जब तुम्हारे कान में पड़ी तब तुम्हारे दुख का ठिकाना न रहा।

तब तुम्हारी एक सखी ने तुम्हारी इस मानसिक दशा को समझ लिया और उसने तुमसे उस विक्षिप्तता का कारण जानना चाहा। जब तुमने बताया- मैंने सच्चे हृदय से भगवान शिवशंकर का वरन किया है, किंतु मेरे पिता ने मेरा विवाह विष्णुजी से निश्चित कर दिया है। में विचित्र धर्म संकट मे हु। अब क्या करू? प्राण छोड़ देने के अतिरिक्त अब कोई भी उपाय शेष नही है। तुम्हारी सखी बड़ी ही समझदार और सूझबुझ वाली थी।

उसने कहा- सखी! प्राण त्यागने का इसमें कारण ही क्या है? संकट के मौके पर धैर्य से काम लेना चाहिए। नारी के जीवन की सार्थकता इसी मे है, की पति-रूप में हृदय से जिसे एक बार स्वीकार किया, तो जीवन पर्यंत उसी से निर्वाह करे। सच्ची आस्था और एकनिष्टा के समक्ष तो ईश्वर  को भी समर्पण करना पड़ता है। मैं तुम्हें घनघोर जंगल में ले चलती हूं, जो साधना स्थली भी हो और जहां तुम्हारे पिता तुम्हें खोज भी न पाएं। वहां तुम साधना में लीन हो जाना। मुझे विश्वास है कि ईश्वर अवश्य ही तुम्हारी सहायता करेंगे।

तुमने ऐसा ही किया। तुम्हारे पिता तुम्हें घर पर न पाकर बड़े दुखी तथा चिंतित हुए। वे सोचने लगे कि तुम जाने कहां चली गई। मैं विष्णुजी से उसका विवाह करने का प्रण कर चुका हूं। यदि भगवान विष्णु बारात लेकर आ गए और कन्या घर पर न हुई तो बड़ा अपमान होगा। मैं तो कहीं मुंह दिखाने के योग्य भी नहीं रहूंगा। यही सब सोचकर गिरिराज ने जोर-शोर से तुम्हारी खोज शुरू करवा दी।

इधर तुम्हारी खोज होती रही और उधर तुम अपनी सखी के साथ नदी के तट पर एक गुफा में मेरी आराधना में लीन थीं। भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र था। उस दिन तुमने रेत के शिवलिंग का निर्माण करके व्रत किया। रात भर मेरी स्तुति के गीत गाकर जागीं। तुम्हारी इस कष्ट साध्य तपस्या के प्रभाव से मेरा आसन डोलने लगा। मेरी समाधि टूट गई। मैं तुरंत तुम्हारे समक्ष जा पहुंचा और तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न होकर तुमसे वर मांगने के लिए कहा।

तब अपनी तपस्या के फलस्वरूप मुझे अपने समक्ष पाकर तुमने कहा – मैं हृदय से आपको पति के रूप में वरण कर चुकी हूं। यदि आप सचमुच मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर आप यहां पधारे हैं तो मुझे अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार कर लीजिए।

तब मैं ‘तथास्तु‘ कह कर कैलाश पर्वत पर लौट आया। प्रातः होते ही तुमने पूजा की समस्त सामग्री को नदी में प्रवाहित करके अपनी सहेली सहित व्रत का पारणा किया। उसी समय अपने मित्र-बंधु व दरबारियों सहित गिरिराज तुम्हें खोजते-खोजते वहां आ पहुंचे और तुम्हारी इस कष्ट साध्य तपस्या का कारण तथा उद्देश्य पूछा। उस समय तुम्हारी दशा को देखकर गिरिराज अत्यधिक दुखी हुए और पीड़ा के कारण उनकी आंखों में आंसू उमड़ आए थे।

तुमने उनके आंसू पोंछते हुए विनम्र स्वर में कहा- पिताजी! मैंने अपने जीवन का अधिकांश समय कठोर तपस्या में बिताया है। मेरी इस तपस्या का उद्देश्य केवल यही था कि मैं महादेव को पति के रूप में पाना चाहती थी। आज मैं अपनी तपस्या की कसौटी पर खरी उतर चुकी हूं। आप क्योंकि विष्णुजी से मेरा विवाह करने का निर्णय ले चुके थे, इसलिए मैं अपने आराध्य की खोज में घर छोड़कर चली आई। अब मैं आपके साथ इसी शर्त पर घर जाऊंगी कि आप मेरा विवाह विष्णुजी से न करके महादेवजी से करेंगे।

गिरिराज मान गए और तुम्हें घर ले गए। कुछ समय के पश्चात शास्त्रोक्त विधि-विधानपूर्वक उन्होंने हम दोनों को विवाह सूत्र में बांध दिया।

हे पार्वती! भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के फलस्वरूप मेरा तुमसे विवाह हो सका। इसका महत्व यह है कि मैं इस व्रत को करने वाली कुंआरियों को मनोवांछित फल देता हूं। इसलिए सौभाग्य की इच्छा करने वाली प्रत्येक युवती को यह व्रत पूरी एकनिष्ठा तथा आस्था से करना चाहिए ।

6) निष्कर्ष – hartalika teej kab hai

इस पोस्ट मे हमने आपको Hartalika Teej 2023 इस टॉपिक पर पूरी जानकारी दी है। इसमें हमने आपको हरतालिका तीन की तिथि, मुहूर्त, पूजा सामग्री, पूजा विधि, कथा इन सभी विषयों पर विस्तार से बताया है।

उम्मीद करते है कि आपको यह पोस्ट (Hartalika Teej 2023) पसंद आई होगी। इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे, ताकि जिन महिलाओ को हरतालिका तीज के तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और कथा के बारे में पता न हो, उन महिलाओ तक यह पोस्ट पहुँच सके।

अपने Hartalika Teej 2023 को तो जान लिया है | इसी के साथ आप हमारी यह पोस्ट Krishna Janmashtami 2023 को पड़े।

7) FAQs – Hartalika Teej 2023

1) हरतालिका तीज का व्रत कौन कौन कर सकता हैं?
हरतालिका तीज का व्रत सौभाग्यवती महिलाएं तथा कुवारी कन्याएं करती हैं।

2) 2023 मे हरतालिका तीज कब है?
2023 मे हरतालिका तीज की शुरुआत 17 सितंबर 2023 रविवार को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर हो रही हैं। और इस तिथि का समापन अगले दिन 18 सितंबर 2023 सोमवार, दुपहर 12  बजकर 39 मिनट पर होगा। ऐसे में हरतालिका तीज 18 सितंबर को मनाई जायेगी।

3) हरतालिका तीज किस तिथि पर मनाई जाती है?
पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है।

4) हरतालिका तीज का मुहूर्त क्या है?
हरतालिका तीज की पूजा के लिए 18 सितंबर को 3 शुभ मुहूर्त है।पहला मुहूर्त  06 बजकर 07 मिनट से 08 बजकर 34 मिनट तक है। उसके बाद दूसरा मुहूर्त सुबह 09 बजकर 11 मिनट से 10 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। इसके बाद तीसरा मुहूर्त दुपहर 03 बजकर 19 मिनट से शाम 07 बजकर 51 मिनट तक है। इन तीनो मुहूर्त में आप कभी भी पूजा कर सकते हैं।

5) हरतालिका तीज के दिन कौनसे भगवान की पूजा की जाती हैं?
इस दिन मा गौरा पार्वती और शिवजी की विधिपूर्वक पूजा की जाती हैं।

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