नमस्कार दोस्तो! आज का हमारा टॉपिक है, Nag Panchami 2023 Date : इस साल नाग पंचमी कब है? जाने मुहूर्त, समय पूजा विधि । सनातन धर्म के शास्त्रो के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती हैं। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन तक्षक, वासुकी, कर्कट, कालिया और अन्य प्रमुख नाग देवताओ की पूजा की जाती है। नाग पंचमी के दिन भगवान शिव के गले में आभूषण के रूप में मौजूद नाग देवता की भी पूजा होती हैं। नाग पंचमी पर पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति , अपार धन और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
आईये इस पोस्ट मे जानेंगे की कब मनाई जायेगी नाग पंचमी। इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े, ताकि आप नाग पंचमी का मुहूर्त, पूजा विधि और अन्य सभी बातो के बारे में जान सके।
इस पोस्ट मे (Nag Panchami 2023 ) निम्नलिखित विषयों पर बात करेंगे।
1) कब है, नाग पंचमी? (nag panchami 2023 kab hai)
2) नाग पंचमी तिथि और मुहूर्त (Nag Panchami 2023 date and time)
3) नाग पंचमी की पूजा विधि
4) नाग पंचमी की कथा
5) नाग पंचमी का महत्व
6) निष्कर्ष
7) FAQs
आईये इन सब विषयों पर विस्तार से जानते हैं।
1) कब है, नाग पंचमी? (Nag Panchami 2023 kab hai)
इस वर्ष सावन शुक्ल पंचमी तिथि 21 अगस्त 2023 को रात 12 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 22 अगस्त 2023 को दोपहर 2 बजे होगा। ऐसे में नाग पंचमी का त्योहार 21 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा।
हिंदू धर्म में सदियो से नाग देवता को पूजने की परंपरा चलती आ रही है। ऐसी मान्यताएँ है कि नाग पंचमी (Nag Panchami 2023) के दिन नाग देवता को दूध अर्पित करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती हैं। नाग पंचमी के दिन अनंत, वासुकी , पद्य, महापद्म , तक्षक, कुलिर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल नामक देव नागो की पूजा की जाती है। नाग पंचमी के दिन नागो की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, और नाग देवता परिवार की सुरक्षा भी करते हैं।
2) नाग पंचमी तिथि और मुहूर्त (Nag Panchami tithi and muhurat )
Nag Panchami 2023 date and time :
शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का आरंभ रात में 12 बजकर 21 मिनट से शुरू होगा, और इसका समापन 21 अगस्त की मध्यरात्रि 2 बजकर 1 मिनट से होगा।
3) नाग पंचमी की पूजा विधि (nag panchami ki puja vidhi)
नाग पंचमी (Nag Panchami 2023) के दिन नाग देवता की पूजा की जाती हैं। जिन नागो की पूजा की जाती है, उनके नाम अनंत, वासुकी , पद्य, महापद्म , तक्षक, कुलिर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल है। चतुर्थी के दिन एक समय भोजन करना चाहिए। अगले दिन यानी पंचमी तिथि के दिन व्रत रखे। व्रत समापन के बाद रात के समय भोजन किया जा सकता है।
नाग पंचमी के दिन सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी लेकर मिट्टी से नाग देवता की प्रतिमा बनाए, इसके बाद नाग देवता पर हल्दी, सिंदूर, चावल और फूल चढ़ाये, और कच्चे दूध में घी, चीनी मिलाकर नाग देवता का अभिषेक करे। उसके बाद / “ॐ नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु ये अंतरिक्षे ये दिवि तेभ्य: सर्पेभ्यो नाम: “/ इस मंत्र का जाप करे। इस मंत्र के जाप करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है, और नाग देवताओ की कृपा भी बनी रहती है। पूजा समाप्त होने के बाद अंत में नाग देवता की कथा का पाठ करे और आरती करे। साथ मे इस दिन किसी गरीब को दान जरूर दे।
4) नाग पंचमी की कथा (nag panchami ki katha)
प्राचीन काल में एक शेठजी के सात पुत्र थे। सातों के विवाह हो चुके थे। सबसे छोटे पुत्र की पत्नी श्रेष्ठ चरित्र की विदुषी और सुशील थी, परंतु उसको भाई नही था।
एक दिन बड़ी बहु ने घर लिपने को पीली मिट्टी लाने के लिए सभी बहुओ को साथ चलने को कहा तो सभी धलिया और खुरपी लेकर मिट्टी खोदने लगी। तभी वहा एक सर्प निकला , जिसे बड़ी बहु खुरपी से मारने लगी। यह देखकर छोटी बहू ने उसे रोकते हुए कहा, ‘मत मारो इसे’ यह बेचारा निरपराध है।
यह सुनकर बड़ी बहु ने उसे नही मारा तब सर्प एक ओर जा बैठा। तब छोटी बहू ने उसे कहा -‘ हम अभी लौट कर आते है, तुम यहा से जाना मत’। इतना कह कर वह सबके साथ मिट्टी लेकर घर चली गई। वहा कामकाज में फसकर सर्प से जो वादा किया था उसे भूल गई।
उसे दूसरे दिन वह बात याद आई तो वह सबको साथ लेकर वहा पहुची और सर्प को उसी स्थान पर बैठा देख कर बोली- सर्प भैया नमस्कार! सर्प ने कहा तु भैया कह चुकी हैं, इसलिए तुझे छोड़ देता हूँ, नही तो झूठी बात कहने के कारण तुझे अभी डस लेता। वह बोली – बैया मुझसे गलती हो गई , उसके लिए क्षमा मांगती हूँ,तब सर्प बोला – अच्छा तु आज से मेरी बहन हुई और मे तेरा भाई हुआ। तुझे जो मांगना हो मांग ले। वह बोली – भैया मेरा कोई नही है, अच्छा हुआ जो तु मेरा भाई बन गया।
कुछ दिन व्यतीत होने पर वह सर्प मनुष्य का रूप रखकर उसके घर आया, और बोला की मेरी बहन को भेज दो।सबने कहा कि – इसका तो कोई भाई नही था। तो उसने बोला की – मे दूर के रिश्ते में इसका भाई हु। बचपन मे ही बाहर चला गया था। उसके विश्वास दिलाने पर घर के लोगो ने छोटी बहू को उसके साथ भेज दिया। उसने मार्ग में बताया- की मे वही सर्प हु, इसलिए तु डरना नही और जहा चलने मे कठिनाई हो वहा मेरी पूछ पकड़ लेना । उसने कहे अनुसार ही किया और इस प्रकार वह उसके घर पहुँच गई।वहा के धन ऐश्वर्य को देखकर चकित हो गई।
एक दिन सर्प के मा ने उसे कहा कि- मे एक काम से बाहर जा रही हूँ, तु अपने भाई को ठंडा दूध पिला देना। उसे यह बात ध्यान न रही , और उसने गर्म दूध पिला दिया।जिससें उसका मुह बेतरह जल गया । यह देखकर सर्प की माता बहुत क्रोधित हुई। परंतु सर्प के समझाने पर शांत हो गई। तब सर्प ने कहा कि बहन को आज घर भेज देना चाहिए। तब सर्प और उसके पिता ने उसे बहुत सा सोना , चांदी, जवाहरात, वस्त्र-भूषण आदि देकर उसके घर पहुँचा दिया।
इतना ढेर सारा धन देखकर बड़ी बहु ने इर्श्या से कहा – भाई तो बड़ा धनवान है, तुझे तो उससे और भी धन लाना चाहिए। सर्प ने यह वचन सुना तो,सब वस्तुए सोने की लाकर दे दी। यह देखकर बड़ी बहु ने कहा – इन्हे झाड़ाने की झाड़ू भी सोने की होनी चाहिए। तब सर्प ने झाड़ू भी सोने की लाकर रख दी।
सर्प ने छोटी बहू को हीरा-मणियों का एक अद्भुत हार दिया था। उसकी प्रशंसा उस देश की रानी ने भी सुनी और वह राजा से बोली की- सेठ की छोटी बहू का हार यहा आना चाहिए। राजा ने मंत्री को हुक्म दिया की, उससे वह हार लेकर शीघ्र उपस्थित हो, मंत्री ने सेठजी से जाकर कहा की, महारानीजी छोटी बहू का हार पहनेंगी , वह उससे लेकर मुझे दे दो। सेठजी ने डर के कारण छोटी बहू से हार मांगकर दे दिया।
छोटी बहू को यह बात बहुत बुरी लगी। उसने अपने सर्प भाई को याद किया और उसके आने पर प्रार्थना की- भैया रानी ने हार छीन लिया है, तुम कुछ ऐसा करो कि, जब वह हार उसके गले में रहे, तब के लिए सर्प बन जाए और जब वह मुझे लौटा दे तब हीरो और मनियो का हो जाए। सर्प ने ठीक वैसा ही किया। जैसा ही रानी ने हार पहना , वैसे ही वह हार सर्प बन गया। यह देखकर रानी चीख पड़ी और रोने लगी।
यह देखकर राजा ने सेठ के पास खबर भेजी की छोटी बहू को तुरंत भेजो । सेठजी डर गए की राजा न जाने क्या करेगा? वह स्वयम छोटी बहू को लेकर राजमहल मे उपस्थित हुए। राजा ने छोटी बहू से पूछा – तूने क्या जादू किया है, मे तुझे दंड दूंगा। छोटी बहू बोली राजन- धृष्टता क्षमा कीजिए, यह हार ही ऐसा है कि, मेरे गले में हीरो और मनियो का रहता है, और दूसरे के गले में सर्प बन जाता हैं। यह सुनकर राजा ने वह सर्प बना हार उसे देकर कहा- अभी पहनकर दिखाओ । छोटी बहू ने जैसे ही उसे पहना वैसे ही वह हीरो-मनियो का हो गया।
यह देखकर राजा को उसकी बात का विश्वास हो गया। और उससे प्रसन्न होकर बहुत सी मुद्राएँ भी पुरस्कार मे दी। छोटी बहू अपने हार और मुद्राओं सहित घर लौट आई।उसके धन को देखकर बड़ी बहु ने इर्श्या के कारण उसके पति को सिखाया की छोटी बहू के पास कही से धन आया है। यह सुनकर उसके पति ने अपनी पत्नी को बुलाकर कहा- ठीक- ठीक बता की यह धन तुझे कौन देता है। तब वह सर्प को याद करने लगी।
तब उसी समय सर्प ने प्रकट हो कर कहा- यदि मेरी धर्म बहन की आचरण पर संदेह प्रकट करेगा तो, मे उसे खां लूंगा। यह सुनकर छोटी बहू का पति बहुत प्रसन्न हुआ और उसने सर्प देवता का बड़ा सत्कार किया। उसी दिन से नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है, और स्त्रियाँ सर्प को भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं।
5) नाग पंचमी का महत्व (Nag Panchami 2023 importance in hindi)
मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से व्यक्ति को नागो का भय नही रहता । साथ ही जिन लोगो की कुंडली में कालसर्प दोष होता है। उन्हे भी इस दिन पूजा करने से थोड़ी राहत मिलती हैं। अन्य मान्यताओं के अनुसार , साँप को दूध से नहलाने और दूध पिलाने से दैवीय कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा घर के दरवाजे पर साँप का चित्र बनाने की भी परंपरा होती हैं।
6) निष्कर्ष – Nag Panchami 2023 in hindi
इस पोस्ट मे हमने (Nag Panchami 2023) इस साल नाग पंचमी कब है? जाने मुहूर्त, समय पूजा विधि इस टॉपिक पर पूरी जानकारी दी है, इसमें हमने आपको बताया है कि, इस साल नाग पंचमी कब है, कौनसी तिथि को है, और तब तक रहेगी इसीके साथ हमने बताया है कि नाग पंचमी की पूजा विधि क्या है, कथा क्या है, और नाग पंचमी का महत्व क्या होता है।
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7) FAQs – Nag Panchami 2023 Date
1) नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त क्या है?
शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का आरंभ रात में 12 बजकर 21 मिनट से शुरू होगा, और इसका समापन 21 अगस्त की मध्यरात्रि 2 बजकर 1 मिनट से होगा।
2) नाग पंचमी पूजा कैसे किया जाता है?
नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती हैं। जिन नागो की पूजा की जाती है, उनके नाम अनंत, वासुकी , पद्य, महापद्म , तक्षक, कुलिर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल है। चतुर्थी के दिन एक समय भोजन करना चाहिए। अगले दिन यानी पंचमी तिथि के दिन व्रत रखे। व्रत समापन के बाद रात के समय भोजन किया जा सकता है।
3) नाग पंचमी के दिन कौन सा काम नहीं करना चाहिए?
नागपंचमी के दिन तवा और लोहे की कढ़ाही में भोजन न पकाएं।
4) नाग पंचमी के दिन क्या उपाय करना चाहिए?
नाग पंचमी के दिन शिवलिंग पर तांबे के लोटे से ही जल चढ़ाएं।
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